महाराष्ट्र के मराठवाड़ा प्रान्त में जो हमेशा अकाल और अन्य संसाधनों के अभाव से दुर्गम बना हुवा था,
जैन समाज अत्यल्प मात्रा में होने के साथ साथ धर्म से दूर होता हुवा जान पड़ता था
साधुओ का अभाव इन अनेक कारण इसके लिए निमित्त बने हुवे थे
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